हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर अजय शर्मा और उनकी 8 मेंबर्स की टीम ने रावण का चबूतरा मैदान में चल रहे मेले में सौर मंडल का रीक्रिएशन किया है। शर्मा ने बताया, मेले की थीम भी चरखे से स्पेस तक का सफर है। ऐसे में मुझे यही आइडिया आया कि कबाड़ से ही सौरमंडल काे बना दें। भारत ने चरखे से लेकर आज सैटेलाइट तक के सफर में जो बड़ी कामयाबी हासिल की, उसे ध्यान में रखते हुए यह सौर मंडल बनाया है। शर्मा ने बताया कि इसे बनाने के लिए पहले बुक्स पढ़ी और इंटरनेट में सौरमंडल को स्टडी की। भू वैज्ञानिकों से मिलकर सभी ग्रहों की सही पोजिशन और कलर्स को स्टडी किया। इसे नेट पर सर्च कर कई विशेषज्ञों को दिखाया। इसमें करीब तीन महीने लगे। टीम ने एक महीने की मेहनत के बाद इसे उत्सव 2020 में तैयार किया जाे सभी के लिए अट्रेक्शन प्वाइंट बना है।
6 हजार फीट बोरी, साइकिल रिम व तगारी का किया इस्तेमाल
शर्मा ने बताया, पुरानी फटी करीब छह हजार फीट बोरी को ब्लैक डाई कराकर डोम तैयार किया। सभी नाै ग्रह साइज के अनुसार बनाकर ऐसा लाइटिंग इफेक्ट दिया। यह ध्यान रखा गया कि जिस ग्रह की जो पोजिशन है वो उसी रूप में और उसी कलर में दिखे। इसके लिए स्पॉट लाइटिंग और एलईडी का प्रयोग किया गया। बीच में साइकिल की पुरानी रिम से सैटेलाइट चमकता दिखाया ताे तगारी में सूरज बना। रेडियम से टिमटिमाते एक हजार तारे बनाए। एस्ट्रोनॉट लटकाकर साथ में प्लास, पेचकस, पाना, हथौड़ी और स्क्रू यूज कर नक्षत्र के बिगड़े रूप और आकाश गंगा तैयार हुई। लोहे के पुराने सरिए, लाेहे की चादरें, जालियां और लोहे के पुराने टुकड़ों को यूज कर सौर मंडल का रूप दिया।
3 महीने स्टडी कर कबाड़ से बनाया है यह सौरमंडल