दो ग्राम हीमोग्लोबिन लेवल से मौत के मुंह में जा रहा था मासूम, डॉक्टर ने तत्काल अपना खून देकर जिंदगी लाैटा दी

उम्मेद हॉस्पिटल में भर्ती सीवियर एनीमिया का पेशेंट एक वर्षीय मासूम वासुदेव। स्थिति इतनी गंभीर कि बचने की उम्मीद नहीं के बराबर बची थी। मासूम की जान बचाने के लिए खून चढ़ाना बेहद आवश्यक था। लेकिन उसके माता-पिता खून देने के लिए अनफिट घोषित कर दिए गए। ऐसे में उसका इलाज करने वाले डॉक्टर  हरीश मौर्य ने पहल की और स्वयं रक्तदान कर मासूम की जान बचा ली। 



बेहद सामान्य परिवेश के माता-पिता आंखों में आंसू लिए ही देसूरी से उम्मेद अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे थे। यहां उन्होंने वासुदेव को डॉ. हरीश मौर्य को दिखाया। बच्चे के ब्लड टेस्ट करवाए तो हीमोग्लोबिन जो 14 से 16 ग्राम के बीच होना चाहिए, वह महज 2 ग्राम ही था। डॉ. हरीश ने बताया कि अगर उसे चंद मिनट में खून नहीं चढ़ाया जाता तो बचना नामुमकिन था। डॉ. हरीश ने तत्काल वासुदेव को एडमिट किया। उन्होंने मासूम के माता-पिता को एक यूनिट ब्लड डोनेट करने के लिए कहा। माता-पिता तत्काल ब्लड बैंक पहुंचे, लेकिन यहां वे ब्लड देने के लिए अनफिट घोषित कर दिए गए। वे भागते हुए डॉ. हरीश के पास पहुंचे। उन्हें बताया कि उनके पास कोई ब्लड डोनर नहीं है। यदि ब्लड नहीं मिला तो उनका बेटा मर जाएगा। डॉ. हरीश ने स्थिति की नजाकत काे समझ लिया। उन्हाेंने आव देखा ना ताव और सीधा पेरेंट्स के साथ ब्लड बैंक पहुंचे। यहां उन्हाेंने बिना किसी डाेनर का इंतजार किए अपना ही रक्तदान करने काे कहा। इस पर डाॅ. हरीश का ब्लड लेकर तत्काल वासुदेव को चढ़ाया गया। हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ने व बेहतर संभाल से अब वासुदेव स्वस्थ है।


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